Byline: Shubh Times Editorial | 20 अगस्त 2025
नई दिल्ली। राजधानी में एक जनसुनवाई के दौरान मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पर थप्पड़ मारने की घटना ने न सिर्फ दिल्ली बल्कि पूरे देश को चौंका दिया। सुरक्षाकर्मियों ने आरोपी को तुरंत काबू में कर लिया, लेकिन इसने VIP सुरक्षा प्रणाली, महिला नेताओं की सुरक्षा और लोकतांत्रिक गरिमा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
घटना का विवरण
स्थानीय रिपोर्ट्स के अनुसार, कार्यक्रम के दौरान एक युवक मंच तक पहुंच गया और अचानक मुख्यमंत्री पर हाथ उठा दिया। पूरे परिसर में अफरा-तफरी मच गई। हालांकि, घटना में मुख्यमंत्री सुरक्षित रहीं, लेकिन सवाल यह है कि इतनी कड़ी सुरक्षा के बावजूद कोई व्यक्ति मंच तक कैसे पहुंच गया?
ऐसा पहली बार नहीं
भारत में नेताओं पर हमले कोई नई बात नहीं है। पहले भी अरविंद केजरीवाल और शरद पवार जैसे नेताओं पर सार्वजनिक कार्यक्रमों में हमले हो चुके हैं। ऐसे मामलों से साफ है कि सुरक्षा में खामियां बार-बार सामने आती रही हैं।
महिला सुरक्षा का सवाल
यह घटना इसलिए और गंभीर हो जाती है क्योंकि पीड़ित एक महिला मुख्यमंत्री हैं। दिल्ली पहले से ही महिलाओं के लिए असुरक्षित मानी जाती है। एक महिला नेता तक पर हमला हो जाए तो यह आम महिलाओं की सुरक्षा की स्थिति को और स्पष्ट करता है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
- रेखा गुप्ता ने कहा कि यह लोकतंत्र पर हमला है और इससे उनका हौसला कमजोर नहीं होगा।
- सत्ताधारी दल ने सुरक्षा एजेंसियों से जवाबदेही की मांग की।
- विपक्ष ने इसे जनता की नाराजगी का नतीजा बताया।
विशेषज्ञों की राय
सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि VIP प्रोटेक्शन में अक्सर भीड़-प्रबंधन पर ध्यान नहीं दिया जाता। एक रिटायर्ड पुलिस अधिकारी ने कहा, “यह केवल मुख्यमंत्री पर हमला नहीं, बल्कि सुरक्षा प्रोटोकॉल की असफलता का भी मामला है।”
जनता और सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर इसे लोकतांत्रिक मर्यादा का अपमान बताया गया। कई लोगों ने कहा कि यह केवल एक व्यक्ति की हरकत नहीं, बल्कि सुरक्षा व्यवस्था में लापरवाही का परिणाम है।
आगे क्या?
विशेषज्ञ मानते हैं कि दिल्ली सरकार को अब फेशियल रिकग्निशन टेक्नोलॉजी, बायोमेट्रिक स्कैनिंग और CCTV निगरानी को मजबूत करना चाहिए। साथ ही भीड़-नियंत्रण SOPs को अपडेट करने की जरूरत है।
निष्कर्ष
रेखा गुप्ता हमला केवल एक हादसा नहीं है, बल्कि इसने सुरक्षा व्यवस्था और लोकतांत्रिक गरिमा दोनों को चुनौती दी है। अब देखना होगा कि क्या यह घटना केवल राजनीतिक बयानबाजी तक सीमित रहती है या वाकई में सुरक्षा प्रणाली को मजबूत करने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाते हैं।
— यह लेख सार्वजनिक स्रोतों, सोशल मीडिया प्रतिक्रियाओं और लेखक की राय पर आधारित है।

